बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
उत्तर-
रेशे / तन्तु
(Fibre)
ये प्रमुख रूप से वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले पदार्थ हैं जिनका पाचन मानव पाचन मार्ग एन्जाइम के द्वारा नहीं होता। रेशेदार पदार्थ जिन्हें "डाइटरी फाइबर" लिगनिक व पैक्टीन, गाम्स, म्यूसीलेज, सेल्युलोज, हेमीसेल्युलोज आदि आते हैं। इस तरह से डायटरी फाइबर के अन्तर्गत बहुत से पदार्थ आ जाते हैं। ये पदार्थ मल द्वारा बिना पचे हुए ही निष्कासित कर दिया जाता है।
संगठन (Composition)- इसकी रचना में बहुत विविधता पायी जाती है। यह फलों में पायी जाने वाली गुठलियों से लेकर रेशों व गोंदनुमा चिपचिपे पदार्थ तक की रचना में उपस्थित रहता है। सेल्युलोज फाइबर का महत्वपूर्ण प्रकार है। यह 300 या उससे भी अधिक ग्लूकोज की इकाईयों के जुड़ने से बनता है। इसमें पानी को अवशोषित करने की क्षमता पायी जाती है। हेमीसेल्युलोज शाखादार रचनायें हैं तथा ये जाइलोज, गलैक्टोज, मैनोज, अरैबिनोज व कुछ अन्य शर्कराओं के जुड़ने से बनते हैं। लिगनिन वनस्पति कोशिकाओं की कोशिका भित्ति में पाया जाने वाला पॉलीसेकेराइड है जोकि फिनाइल प्रोपेन की इकाइयों के जुड़ने से बनता है। पेक्टिन कुछ विशेष प्रकार के फलों, उनके छिलकों व बीजों में उपस्थित रहता है। पानी अवशोषित करने के गुण के कारण थेविटन की उपस्थिति में फ्रूट जेली तैयार की जाती है। अगार अगार समुद्री घास से प्राप्त किया जाता है तथा इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों को गाढ़ा बनाने हेतु किया जाता है।
फाइबर का वर्गीकरण (Classification of Fibre) अपने संगठन के आधार पर फाइबर को दो वर्गों में बाँटा गया है-
1. पानी में घुलनशील फाइबर (Water soluble Fibre) म्यूसीलेज। उदाहरण पेक्टिन, गम,
2. पानी में अघुलनशील फाइबर (Water insoluble Fibre) - उदाहरण सेल्युलोज, हेमी सेल्युलोज व लिग्निन।
उपरोक्त के अतिरिक्त आजकल कृत्रिम फाइबर भी बना लिया गाया है जिनका उपयोग लेग्जेटिव के रूप में या कम कैलोरी के आधार में किया जाता है। इनको कृत्रिम फाइबर में प्रमुख हैं -
कार्य (Functions) - फाइबर के महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं।
1. रेशेदार पदार्थ पानी के अवशोषण की अभूतपूर्व क्षमता रखते हैं। आँतों में पहुँचकर ये अपने से 15 गुना अधिक वजन पानी सोख लेते हैं व फूल जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप मल में जल की अधिकता बनी रहती है व कब्ज नहीं बन पाता।
2. रेशेदार पदार्थ पाचन मार्ग की गतिशीलता को बढ़ाते हैं। रेशेदार पदार्थ भोजन को पाचन मार्ग में शीघ्र आगे बढ़ाते हैं जिससे अपच की स्थिति नहीं बन पाती।
3. रेशेदार पदार्थ रक्त में कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करते हैं परिणामस्वरूप हृदय रोगों से बचाव होता है।
4. मधुमेह के उपचार में तथा इससे बचाव में भी रेशेदार पदार्थ उपयोगी है।
5. फाइबर की अधिकता वाला भोजन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है।
6. आँतों के कैंसर को रोकने में भी फाइबर युक्त आहार महत्वपूर्ण माना जाता है। कम फाइबर युक्त आहार लेने से आँतों के पालिय होने की संभावनाए बढ़ जाती है। इन्हीं से आगे चलकर आँतों का कैंसर बन सकता है।
7. ये पदार्थ मोटापे को कम करने में सहायक हैं।
8. उच्च फाइबर युक्त आहार के सेवन से दाँतों की सड़न की घटनाओं को कम किया जा सकता
9. अधिक फाइबर युक्त आहार लेने से गुर्दे की पथरी की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
आवश्यकता (Requirement) - काउमिल व एण्डरसन के अनुसार प्रतिकिग्रा वजन हेतु 100mg फाइबर लिया जाना चाहिए। इस तरह से एक 70 kg वजन वाले व्यक्ति के लिए 7 gm व 60 gm वजन वाले व्यक्ति के लिए 5 gm फाइबर पर्याप्त होता है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए 6-10 gm तक फाइबर वाला आहार पर्याप्त रहता है। परन्तु रोग की अवस्था में जिनमें फाइबर लाभदायक रहता है इससे ज्यादा फाइबर लिया जा सकता है।
स्रोत ( Sources) - साबुत अनाजों हरी पत्तेदार सब्जियों, कुछ फलों में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है जबकि दूध व दूध से बने पदार्थों में, घी, तेल, शक्कर, मांस, मछली, अण्डे आदि में फाइबर बिल्कुल भी नहीं पाया जाता है। परिष्कृत खाद्य पदार्थों में फाइबर नहीं पाया जाता है वैसे मैथी के दानों में भी फाइबर की मात्रा अच्छी खासी पायी जाती है। इसमें कुल फाइबर की मात्रा 0% से भी अधिक रहती है। यही कारण है कि यह मधुमेह के उपचार में बहुत लाभदायक है।
फाइबर की कमी (Deficiency of Fibre) - आहार में रिफाइन्ड भोज्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से फाइबर की कमी उत्पन्न हो जाती है। इसकी कमी के दुष्परिणाम अपच व कब्ज के रूप में सबसे पहले दिखायी देते हैं। वर्तमान युग में फास्टफूड के प्रचलन के आहार में फाइबर की मात्रा को घटा दिया है। आहार में फाइबर की कमी आँतों के कैसर को आमंत्रण दे सकता है। दूसरी कमी से मधुमेह, हृदय रोग व मोटापा जैसी स्थितियाँ भी पैदा हो सकती हैं।
फाइबर की अधिकता (Excessive intake of Fibre)- किसी भी पदार्थ की अधिकता हानिकारक होती है। फाइबर अधिक मात्रा में लेने से भोजन बहुत तेजी से पाचन मार्ग में तेजी से आगे बढ़ता है जिससे पोषक तत्वों का पाचन व अवशोषण के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। अतः लम्बे समय तक आहार में आवश्यकता से अधिक सेवन करने से कुछ पोषक तत्व जैसे, कैल्शियम, लौह तत्व, जिंक, फॉस्फोरस, आदि की कमी हो जाती है। वे लोग जिन्हें दस्त, अमीबिएसिस, पेचिस आदि की शिकायत हो। उन्हें फाइबर युक्त आहार नहीं लेना चाहिए। पेप्टिक अल्सर के मरीजों को फाइबरयुक्त आहार हानिकारक है।
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- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
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- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
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- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
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- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
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- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
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- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
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- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?